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वो जो मर मर के जिया करते हैं / रंजना वर्मा

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वो जो मर मर के जिया करते हैं
दर्द के घूँट पिया करते हैं

जब भी गुजरे हैं तेरी गलियों से
नाम तेरा ही लिया करते हैं

हाथ में याद की सुई ले कर
दामने - हिज्र सिया करते हैं

ख़्वाब आँखों मे सजाये रखते
नींद बेशक न लिया करते हैं
 
याद रखते न बेरुखी अपनी
हो के बेचैन जिया करते हैं

खेलते रहते हैं जज़्बातों से
इश्क़ बदनाम किया करते हैं

सिर झुकाते हैं जिनके कदमों में
वो ही इल्ज़ाम दिया करते हैं