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वोपारी / राजू सारसर ‘राज’

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हिवडै री
हाट में
लियां बैठ्यौ है
लाल-पळीतां री
जकी गांठडी
उण रा गा’क ढूंढै
मति भूल पण
गांठ खुलतांई
पै’लापै’ल थानैं ई
बाळ’र कर नाखसी
राख रो ढिगळो
घणां चंट बोपारी।