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व्याकुल संसार / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
व्याकुल आज है संसार!
प्रेयसी को बाहु में भर
विश्व, जीवन, काल गति से
सर्वथा स्वच्छंद होकर
आज प्रेमी दे न सकता, हाय, चुंबन-प्यार
व्याकुल आज है संसार।
गोद में शिशु को सुलाकर
विश्व, जीवन, काल गति का
ज्ञान क्षण भर को भुलाकर
मां पिला सकती नहीं है, हाय, पय की धार।
व्याकुल आज है संसार।
विगत सुख-सुधियाँ जगाकर
विश्व, जीवन, काल गति से
एक पल को मुक्ति पाकर
व्यक्त कर सकता न विरही, हाय, उर-उद्गार।
व्याकुल आज है संसार।