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शबीह / लुईज़ा ग्लुक / विनोद दास

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एक बच्ची शरीर की बाहरी रूपरेखा खींच रही है
वह बनाती है जो बना सकती है लेकिन यह पूरा का पूरा सफ़ेद है
वह इसमें नहीं भर सकती
जो वह जानती है वह वहाँ मौजूद है

वह जानती है कि निराधार रेखाओं के भीतर
ज़िन्दगी ग़ायब है
वह एक पृष्ठभूमि को दूसरे से काटती है
एक बच्चे की तरह वह अपनी माँ की तरफ मुड़ती है

और तुम ह्रदय का चित्र बना रहे हो
उस ख़ालीपन के लिए
जो उसने पैदा किया है

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास

और लीजिए, अब पढ़िए अँग्रेज़ी में मूल कविता
                  Louise Glück
                      Portrait

A child draws the outline of a body.
She draws what she can, but it is white all through,
she cannot fill in what she knows is there.
Within the unsupported line, she knows
that life is missing; she has cut
one background from another. Like a child,
she turns to her mother.

And you draw the heart
against the emptiness she has created.