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शरत के सखा / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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प्रियतम, ई शरत की ऐलोॅ छै,
जना सब कुछ बदललोॅ-बदललेॅ छै
नै उन्मत्त मयूरोॅ के नाँच
नै हिरणें के हौ कुलांच
नै हाथी के हौ चिग्घाड़
नै बोहोॅ के उफान।
कथी लेॅ?
शायत सबकेॅ पता होय गेलै
कि शरत सुकुमारी आवी गेलै।

जों कही कुछ
शरत के ऐथै। लौटी ऐलोॅ छै
तेॅ खंजन के राज
चकवा के समाज
हँसोॅ के टोली
सारस समूह
की रं सेॅ गर्दन उठैने
मलकी केॅ बूलै छै, क्रौंच।

की कमलोॅ के प्यार!
की भौरा गुंजार।
शरत सुकुमारी के ऐथैं, ऐलो छै स्वाति नक्षत्र
मुस्कै छै बाँसवन
कदली वन
सीपी के संग।