भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शरद चाँदनी / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शरद चाँदनी!
विहँस उठी मौन अतल
नीलिमा उदासिनी!

आकुल सौरभ समीर
छल छल चल सरसि नीर,
हृदय प्रणय से अधीर,
जीवन उन्मादिनी!

अश्रु सजल तारक दल,
अपलक दृग गिनते पल,
छेड़ रही प्राण विकल
विरह वेणु वादिनी!

जगीं कुसुम कलि थर् थर्
जगे रोम सिहर सिहर,
शशि असि सी प्रेयसि स्मृति
जगी हृदय ह्लादिनी!
शरद चाँदनी!