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शहर में साँप / 11 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप आरोॅ आदमी में
रहै कहियो दोस्ती
साँप ने
उधारदेने रहै कहियो ओकरा
अपन जहर
जब आवै छै मांगै लॅे ऊ
अप्पन उधार
तब आदमी लाठी सेकरै छै
ओकरोॅ पर प्रहर
अनुवाद:
साँप और आदमी में
थी कभी दोस्ती
साँप ने
उधार दिया था कभी उसे
अपना जहर;
जब आता है माँगने वह
अपना उधार
तब आदमी लाठी से करता है
उस पर प्रहार।