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शहर में साँप / 13 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप ने कहलकै
आदमी से
ऊ तेॅ बजैला पर ही डँसै छै
तोंय तेॅ
बिना बजैलोॅ काटतै रहै छैं।
अनुवाद:
साँप ने कहा
आदमी से
वह तो छेड़ने पर ही डँसता है
तुम तो
बिन छेड़े ही काटते रहते हो।