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शहर में साँप / 30 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
आदमी
जहाँ फटैक नै सकै छै
वहाँ/साँप
शंकर के गला में होय छै।
अनुवाद:
आदमी
जहाँ फटक भी नहीं सकता है
वहाँ/साँप
शंकर के गले में होता है।