भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहर में साँप / 3 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँप
तोरा/फुफकारे आरोॅ डँसै लेॅ
दोनों आवै छौ
तैयो तोंय
आदमी से परहेज करै छैं
वैं कहलकै आदमी सें कम्में

अनुवाद:

साँप
तुम्हें/फुफकारना और डँसना
दोनों आता है
फिर भी
आदमी से परहेज करता है
उसने कहा
आदमी से कम