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शहर में साँप / 47 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप तोंय तेॅ कहियो
गाँव शहर में रहलैं नै
फिर कहाँ सीखलैं तोंय
सिर उठाय केॅ फुफकारना
कखनो सरपट तेॅ
तेॅ कखनो टेढ़े-मेढ़े चलना।
अनुवाद:
साँप तुम तो कभी
गाँव शहर में रहे नहीं
फिर कहाँ सीखा तुमने
सिर उठा कर फुफकारना
कभी सरपट तो
कभी टेढ़े-मेढ़े चलना।