भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शहर में साँप / 4 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
साँप
तोरा तेॅ गल्फर में जहर होय छौ
वैं कहलकै आदमी केॅ
माथासे गोर तक
विष ही विष छै।
अनुवाद:
साँप
तुम्हारे तो गल्फर में जहर होता है
उसने कहा/लेकिन आदमी को
सर से पाँव तलक
जहर ही जहर है।