शहीद मन के सुरता / नूतन प्रसाद शर्मा
आओ आओ शहीद के सुरता करबो आज।
मेट अपन देह ले हम मन ले दिन हे सुराज।
आगू हमर देश मं गोरा मन हा अपन राज चलाए,
हमरे अंगना पानी खाके अंगूठा ल देखाये
बीच सड़क मं दाई बहिनी के इज्जत बेचाये
भारत माता दुख के मारे रोये अउ चिल्लाये
तब ले भारत वासी मन ल आये नहीं लाज।
ओ बेरा मं गोरा मन हा लूट करदें अतलंगा
रोय धरती रोय हिमालय रोय बिचारी गंगा
इही देश के पिछलग्गू दे गोरा मन ल पलोंदी
इंहे के वासी मन करदे इहें के जड़ के खोदी
ताकत पाके गोरा मन के अउ उपराये ताज।
अतियाचार ले देख के क्रांतिकारी मन अगियागे
गुस्सा के मारे तन ह कांपिस मन नंगत बगियागे
गोरा शासन नास करे बर रन मं आगू आगे
अपन परन ल पुरा करे बर सब जुरियागे
जिंहचे चाहिन उहिंचे भड़किन झपटिन जइसे बाज।
जलियां वाला बाग मं मरगे देश के कतको मनखे
ऐला देख के क्रांतिकारी के चोला होगे सनके।
मन मं सोचि न- कइसे करजा छुटही अन पानी के
खून उबलगे किरिया खागे-रछिा करबो जन के
मार भगाबो अंगरेजन ल लाबो खुद के राज।
कांकोरी म रेल ल लूटिन जावत जे खजाना
सांसद मं बम ल पटक के गावत रिहीन गाना
सासन ल कुछ घेपिन नहीं रेंगिन तान के सीना
देश उबारे बर जब दउड़िन छोड़िन खाना पीना
बने बने पहिरिन नहीं भाइस नहीं साज।
सासन देखिस क्रांतिकारी के ताकत ल दूना
बंदूक ल धर खोजन लगिन कोना कोना
गोरा सासन हा हालत हे अब गिरही दरवाजा
रोना राही मचागे बाजत आजादी के बाजा
कोन जनी सासन के मुड़ मं कब गिरही गाज।
क्रांतिकारी मन ल पकड़े बर कर दिस जोरहा
भगत, धींगरा, गुरू, बिक्स्मल तब पकड़ागे हुरहा
भागिन नहीं रोसन शेखर भारत मां के मुरहा
कतको ल फांसी दे दिस मारिस हे सासन के चोरहा
फांसी मं च ढ़ के हेरिन हे-जय भारत के आवाज।
देश के खातिर जान ल दे दिन क्रांतिकारी ज्ञानी
भारत हा आजादी पाइस इहिच हे निशानी
आओ गा सुरता म भरबो दूनों आंखी मं पानी
अइसे लगथे अब हृदय हा होही दू ठन चानी
शहीद मन ऊपर हे भारत माता ल अड़बड़ नाज।