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शाने-हिन्दोस्तान हैं बाबा / कांतिमोहन 'सोज़'

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हिन्दी के महाकवि नागार्जुन की 86 वीं सालगिरह के मौक़े पर लिखी गई

शाने-हिन्दोस्तान हैं बाबा ।
फ़िक्रे-अम्नो-अमान हैं बाबा ।।

नूर के तीर छोड़नेवाली
शायरी की कमान हैं बाबा I

इस क़दर प्यार सबसे करते हैं
कैसे कह दूँ महान हैं बाबा I

देखने में अगरचे बूढ़े हैं
दिल से बेहद जवान हैं बाबा I

इस निराशा के घुप अन्धेरे में
रौशनी का बयान हैं बाबा I

अस्ल में इल्मो-फन के पैकर हैं
देखने में किसान हैं बाबा I

सोज़ ने भी उन्हीं से सीखा है
इश्क़ की आन-बान हैं बाबा ।।