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शाम (हाइकु) / भावना कुँअर
Kavita Kosh से
(1)
ओढे बैठी है
कोहरे की चादर
शाम सुहानी
(2)
दुल्हन झील
तारों की चूनर से
घूँघट काढ़े
(3)
चॉंदनी रात
जुगनुओं का साथ
हाथ में हाथ
(4)
सीप -से मोती
जैसे झाँक रहा हो
नभ में चाँद
(5)
मदहोश -सी
थी वो शाम सुहानी
गुज़री साथ