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शिशुओं के लिए पाँच कविताएँ-3 / बालकवि बैरागी

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1.

कंधे पर बंदूक चढ़ा कर,
ज्यों ही चला सिपाही ।
थर-थर लगा काँपने दुश्मन,
शामत आई ! शामत आई !!

2.

चाचा जी ने कुत्ता पाला,
चाची जी ने बिल्ली ।
मैंने जब तोता पाला तो,
गुस्सा हो गई दिल्ली ।।

3.

पापा जी ने कार ख़रीदी,
मम्मी जी ने साड़ी ।
मैंने जब आइसक्रीम ख़रीदी,
तब चल पाई गाड़ी ।।

4.

नुक्कड़-नुक्कड़ रीछ नचाता,
और कूटता पेट ।
मुफ़्त तमाशा देख-देख कर,
तोंद खुजाता सेठ ।।

5.

हमको समझाओ टीचर जी,
आख़िर ये है किसकी मर्ज़ी ।
बच्चे हलके, बस्ता भारी,
सॉरी-सॉरी, वेरी सॉरी ।।