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शुक्ला की समस्या / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
शुक्ला ऐसा बहुत कुछ करता है
जिससे वह तिवारी लगे
कम से कम गुप्ता तो लगे ही
लेकिन इस चक्कर में वह बहुत कुछ ऐसा कर जाता है
जिससे वह वर्मा लगने लगता है
जिसे वह बिल्कुल पसंद नहीं करता
वर्मा बनने की तो वह सपने में भी नहीं सोचता
उसकी त्रासदी यह है कि वह संभले तब तक
लोग उसे वर्मा जी कहना शुरू कर देते हैं
वह कितना ही कहे, वह वर्मा जी नहीं, शुक्ला जी है
तो कोई नोटिस नहीं लेता
शुक्ला जी इससे परेशान है
तिवारी जी और गुप्ता जी को इससे खुशी बेहिसाब है.