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शैलेश भारतवासी

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शैलेश भारतवासी एक हिन्दी लेखक हैं। लेखक शैलेश भारतवासी का जन्म उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के एक छोटे से गाँव 'डोमा' में हुआ। प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गाँव में ही हुई। गाँव से ५० किमी के भीतर कोई महाविद्यालय न होने के कारण, इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए उन्हें रेनुकूट आना पड़ा। तब तक लेखक की हिन्दी भाषा के प्रति सामान्य रूचि थी, परन्तु हिण्डालको इण्टरमीडिएट कॉलेज के हिन्दी के अध्यापक श्री जी॰ डी॰ पाण्डेय की अध्यापन शैली के कारण लेखक का हिन्दी की ओर झुकाव पैदा हुआ। उसके पश्चात लेखक आई आई टी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए इलाहाबाद आ गये जहाँ उन्हें मनीष वंदेमातरम् जैसे कवि मित्र मिलें। कुछ कवि सम्मेलनों में जाने का अवसर भी प्राप्त हुआ। कवि मित्र मनीष वंदेमातरम् और पंकज तिवारी की प्रेरणा से हिन्दी में समालोचनायें लिखकर पत्र-पत्रिकाओं को भेजने लगे। लेखक ने अपनी पहली कविता GLA प्रौद्योगिकी एवम् प्रबंधन संस्थान, मथुरा में प्रवेश लेने के बाद सन् २००२ में लिखी। यहाँ पर दोस्तों ने अच्छी सराहना की। बहुत जल्द ही साथी मित्रों ने लेखक के हिन्दी प्रेम का सम्मान किया और सन् २००५ में इलेक्ट्रॉनिकी एवम् संचारिकी की सोसाइटी 'साइनेप्स' का प्रधान सम्पादक मनोनीत किया। लेखक पिछले वर्ष भित्ति-पत्रकारिता में सक्रिय रहे। लेखक ने कई बार अपनी कविताओं को प्रकाशनार्थ पत्रिकाओं को भी प्रेषित किया परन्तु सफलता नहीं मिली। अतः गूगल समूह 'चिठ्ठाकार' के सहयोग से लेखक ने अपनी रचनायें क्रमबद्ध रूप से अपने ब्लॉग http://merikavitayen.blogspot.com/ पर अप्रैल २००६ से प्रकाशित करना शुरू कर दिया। जल्द ही लेखक ने 'हिन्दी-कविता' नामक एक गूगल समूह का निर्माण भी किया जिसमें वर्तमान में २०० से अधिक सदस्य हैं। लेखक संस्थान स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी कविताएँ सुनाते रहते हैं। वर्तमान में लेखक नई दिल्ली में रहकर भारतीय इंजीनियरिंग सेवा प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। नये-पुराने अर्थपूर्ण गीत-संगीत सुनने में खास रूचि है। किसी समय फिल्म देखने के शौकीन हुआ करते थे, परन्तु अब समय नहीं निकाल पाते हैं। भविष्य में एक स्वयंसेवी संघ की स्थापना करना चाहते हैं जोकि ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैला सके।

रचनायें-

लेखक मूल रूप से आधुनिक कविताएँ ही लिखते हैं। 'आधा, आधा होता है' नामक एक कहानी लिख चुके हैं। 'असली जीत' नाम से लेखक ने एक नाटक लिखा जिसके माध्यम से बीबीसी हिन्दी के एक कार्यक्रम 'उभरते नाटककार प्रतियोगिता' में सम्मिलित हुआ जा सके। महाविद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए लेखक ने 'भारतीय नर्क' नामक एक नाटिका की रचना की। वर्तमान में वे एक उपन्यास की रचना कर रहे हैं।