शैव्याक विलाप / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
हा हंत
आशक एहेन अंत!
तेसर कोखिक पाँचम मास
अहीं केँ छल पुत्रक आश
हम त' दुइ बेटीक संग
छलहुँ पुलकित
शिक्षा आ दीक्षा
दुनू विलोकित
तखन आर संतानक कोन प्रयोजन छल...
ताहू पर जातिक जांच
फेर बेटिए होयत...
सुनिते अहाँक करेज मे लागल आंच
हमरा तनया-हन्ता बना देलहुँ
फेर सँ रोहिताश्वक आश
वाह रे हरि
जकर कोखि सँ निकसल छलहुँ
ओकरे जाति केँ मारि देलहुँ
आश्चर्य त' ई जे...
कलंकित माय भेलीह...
.अहाँ केँ शांति भेंटल...
एक बेर पुनि प्रयास
अहाँ सफल भेलहुँ
बेटा आयल..वंश बाँचल
सगरो कलरव
मुदा हमर हरिवासल
भंग भ' गेल
नैहर मे चुट्टियों नहि मारने छलहुँ
एतय संतान हन्ता
मात्र बेटाक लेल
ओहि बेटाक लेल
जे जेहल मे परल अछि
एकटा अवलाक शीलहरणक पाप मे
आब तेसर नारीक शाप सँ
की अहाँ बचि सकब...
अहींक आग्रह पर
ओहि कुकर्मी सँ
भेंट करय जेहल गेलहुँ
कुपात्र सँ निपुत्र नीक
मुदा! ओकरा क्षोह नहि
ओ त' दुइ बेटी परक बेटा थिक ने
तोरा किए जन्म देलहुँ...
प्रत्युत्तर ..विस्मित क' देलक
कोनो हम कहने छलियौ...
बेटाक माय कहयबाक स'ख छलौ
फल त' भोगय परतौ...