शो-केस / मनजीत टिवाणा / अनिल जनविजय
लड़की शीशे की बनी थी
और लड़का गोश्त का ।
लड़की ने लड़के की तरफ़ देखा
फिर शीशे ने गोश्त से कहा —
इधर आ, और मुझे पूरी की पूरी निगल जा ।
लड़के ने अपनी बड़ी आँत
और कमज़ोर हाजमे के बारे में सोचा ।
लड़की फिर से बोली —
अरे, बड़े डरपोक हो तुम !
अच्छा, चलो, कम से कम
इस शो-केस से तो मेरा पीछा छुड़ाओ !
और चाहो तो सड़क पर रखकर मुझे तोड़-फोड़ दो ।
और लड़के के पैर लड़की की
नाज़ुक चमड़ी को लेकर चौकस हो उठे ।
तब लड़की चिल्लाई —
अगर तुम्हें कुछ सोचना है तो घर जाकर सोचो
यहाँ सड़क पर वैसे भी तुम्हें कोई काम-धाम नहीं है
और मैं शो-केस में अपनी बक-झक जारी रखूँगी ।
शीशे की लड़की शो-केस में खड़ी बोलती रही
गोश्त का बना लड़का सड़क पर खड़ा सोचता रहा ।
पंजाबी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब इसी कविता का अँग्रेज़ी में अनुवाद पढ़िए
Manjit Tiwana
Showcase
The girl was made of glass
And the boy of flesh.
She looked at him
And the glass asked the flesh
'Gobble me up, please'.
The boy thought of the poor digestive power
Of his big entrails.
The girl again said —
'Coward,
Release me at least from the showcase'.
His feet became conscious of their delicate skin
The girl then exclaimed —
'If you must think, think at home,
You have nothing to do at the road,
I shall continue speaking in the showcase'.
The girl of glass kept on speaking in the showcase
The boy of flesh went on thinking at the road.