भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शोकगीत: एक / अरविन्द भारती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवेली के
पिछले हिस्से में
हड्डियों की संख्या में
बढ़ोत्तरी हुई
और
मुर्गे की खुराक
दुगनी

अँधेरे में डूबी
झोंपड़ी
मुर्गी के
शोकगीत में
सिसकती रही।