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श्याम रंग में रंगी चुनरिया / बालस्वरूप राही
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श्याम रंग में रंगी चुनरिया
कौन दूसरा तंग खिलेगा?
बैठी हूँ मैं ठगी-ठगी-सी
सोई-सोई, जगी जगी सी
गूंज रही अब तलक कान में
तान मधुर वह प्रीत पगी सी।
टोना सा कर गई बांसुरी
मोह मंत्र अब कौन छलेगा??
पावन चरण छुए मोहन के
भाग्य जगे मेरे आंगन के
अब क्या जमुना तीर सुहाए
सपन छलें कैसे मधुवन के।
घर आये जब स्वयं संवरियां
कौन गांव अब पांव चलेगा?
कभी न प्रिय का हाथ गहूँगी
इंगित कर हर बात कहूंगी।
उनकी मायावी काया के
छाया बनकर साथ रहूँगी
लगे न जग की निठुर नजरिया
चुपके चुपके प्यार पलेगा।
सजी न मैं बारात न आई
बजी न मेरे घर शहनाई
फिरे न फेरे, चढ़ी न डोली
फिर भी मैं हो गई पराई
ब्याह जोग मेरी न उमरिया
कैसे उनसे जोड़ मिलेगा?
श्याम रंग में रंगी चुनरिया
कौन दूसरा रंग खिलेगा