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श्रीसुता शरत / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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ई शरत केॅ की होलोॅ छै
हँसली-ठठेली ऊ जन्नें सेॅ गुजरै छै
अड़हुल केॅ होने हँसावै छै
होनै शेफालिकौ केॅ
कासौ केॅ होने
चम्पौ केॅ होने
तेॅ मालती केॅ आरो भी बढ़िये केॅ।
ई शरत केॅ की होलोॅ छै!
जन्नें-जन्नें जाय छै शरत
हुन्नै-हुन्नै मौलसरी के गंध भागै
धरती के भाग्य जागै।
जीवन में पहले ही दाफी
ई देखलेॅ छै सब्भैं
थामी केॅ शरत केरोॅ अँचरा
छतिवन गमकलोॅ छै हेनोॅ
जेना लागी गेलोॅ रहेॅ
सुगन्धोॅ के हाट
शरत सुकुमारी के हेने छै ठाठ।
तहियो मन पूछै छै
ई शरत केॅ की होलोॅ छै?