भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्वेत पत्थर पर / रुस्तम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

‘श्वेत पत्थर पर
काला पत्थर’ के इस बिम्ब में
जो मैंने अभी-अभी पढ़ा है
या काले पत्थर पर
श्वेत पत्थर के उस बिम्ब में
जो मैंने अभी-अभी गढ़ा है

‘हज़ार मौत मरता है’

उजाला जो इसके जीवन को पकड़ता है
या हाथ जो इस उजाले को स्थिर रखता है