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संकट / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
आदमी के कन्धों पर
आ बैठा था गिद्ध
सदियों पहले
दर्शन, संस्कृति ने
गिद्ध का गला घोंटा।
गिद्ध मरा?
नहीं
उसने रूप बदला।
आज गिद्ध ने
कबूतर का रूप ले लिया है
आतंक, उत्पात, हिंसा
सब होता था जो
गिद्ध की शक्ल में कभी
आज कबूतर की शक्ल में
हो रहा है
इसीलिए
कबूतर भी अपनी पहचान
खो रहा है।
1981