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संगेमरमर को कभी ऐसे तराशा जाये / चित्रांश खरे
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संगेमरमर को कभी ऐसे तराशा जाये
देवता हूबहू पत्थर में नज़र आ जाये
देखकर तुझको मुरी धड़कने बड़ जाती हैं
दिल भला कैसे जवानी में संभाला जाये
मेरी गज़लों में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
मेरा हर शेर दुआओं से नवाज़ा जाये
मेरी खामोश इबादत का सिला हो ऐसा
जब पुकारू में खुदा को तो खुदा आ जाये
यै खुदा मेरी मुहब्बत का सिला दे मुझको
नाम से मेरे कभी उसको पुकारा जाये
सख्त कानून की है आज ज़रूरत हरसू
हर गुनहगार को सूली पे चढ़ाया जाये