भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संवेदना / संवेदना / राहुल शिवाय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै ,
हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै,
कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |

देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ,
जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ,
कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |

जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै,
होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै ,
कानना की ? कविता के ई वेदना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |



रचनाकाल- 10 मार्च 2010