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सकीना का लोटा / तरुण
Kavita Kosh से
सकीना ने आख़िर फेंक ही दिया
अपना टीन का लोटा-
सड़क पर रिजेक्टेड, कंडम।
पर, हम सैलानी थे,
स्कूल से आते-जाते
गली के मोड़ पर फुटबॉल बनाये उसे
मारते रहते थे किक, यों ही काम बेकाम
सड़क पर होती रहती थी खड़्-खड़्, भड़्-भड़्
न जाने किधर गया बेचारा
वह लोटा
अपनी सुकृति, आकृति, विकृति नियति लिये-
हमारी ही तरह-
हम जैसा ही!
1976