भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो सहेली चाली
धौली मोटर कार आज म्हारे आ रही
सखि हे नाई की बुलाल्यो ए के सीस गुन्दा ल्यो ए
गाल्यो मंगल चार ज्ञान के गाल्यो ए
पति हे मेरी गुट्ठी पहर रह्या हे
रेसमी कुरता बटनां की लाग री लार
तेज होवै खुड़का वोह् तो चलावै कार
पति हे मेरा पट्ठे बाह रह्या हे