भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सखी सुक सेज पिया ढिग आई / संत जूड़ीराम
Kavita Kosh से
सखी सुक सेज पिया ढिग आई।
काम अगन तन तपत रात दिन ज्ञान लहर उर अगन बुझाई।
प्रीत पुनीत पीव रंग राची आनंद मंगल चरन समाई।
चित-नित हर्ष हेर छर खानी दिल आनंद शबद धुनि छाई।
उपजत अंग रंग रस भीजत बाधौ जुग-जुग गयो हिराई।