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सच्चा प्रेम / रश्मि विभा त्रिपाठी
Kavita Kosh से
1
कहाँ दुबका?
सच्चा प्रेम- विश्वास
मन सुबका!
2
मूँदी पलकें
तुम आए ख़्वाब में
आँसू ढलकें।
3
वही है प्यार
जब जुड़ें आत्मा से
आत्मा के तार!
4
उगे बबूल!
आज मुरझा गए
प्यार के फूल!!
5
तुम बाहों में
खिल गए हैं फूल
आज राहों में।
6
मन का द्वार!
प्रेम की साँकल को
खोल के आना।
7
चन्दन– वन
तुम्हारी ये यादें हैं
महका मन।
8
सदानीरा है
मेरा प्रणय प्रिय
तुम सागर!
9
हुई हरिता
मेरे मन की धरा–
तुम सरिता।
10
ये जो मेल है
आजकल दिलों का–
एक खेल है।