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सड़क पर दिख गए कवि त्रिलोचन / केदारनाथ सिंह
Kavita Kosh से
सवेरे-सवेरे
एक बच्चा रो रहा था
उसके हाथ से गिरकर
अचानक टूट गया था
उसका मिट्टी का बाघ
एक छोटा-सा सुन्दर बाघ
जो तारों से लड़ चुका था
लड़ चुका था चाँद और सूरज
और समुद्री डाकुओं से
ठीक उसकी आँखों मे आगे
उसके हाथ से गिरा
और खन्न से टूट गया
और अब वह रो रहा था