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सड़कों ने लील ली है पगडंडी / ओम व्यास

चमक दमक
सड़कों की देख
भाग रहे हैं पगडंडियों को छोड़कर
हम।
पगडंडियाँ
नहीं देती सुविधाएँ,
न बनावटी रोशनी में लंबी दिखती परछाइयाँ
न वायुगति से वाहनों पर तैरते लोग
नहीं दिखते कहीं किनारे खड़े भावशून्य खंबे
सड़कें
पेट्रोल की खुशबू में
सटकर चल रहें हैं लोग अपरिचित
शोर ही शोर
और
लील गई हैं सड़कें
पगडंडियों को।
बीच गया है जाल
चारों तरफ कोलतार का
और हम भाग रहे हैं।