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सत्य अहिंसा व्रत अपनाओ / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

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मानव क्यों मानव को खलता,
मानव क्यों मानव को दलता।
स्वार्थ साधना में रत होकर,
मानव क्यों मानव को छलता॥

मानव के द्रोही मानव को,
न्याय प्रेम का पाठ पढ़ाओ।
सत्य अहिंसा व्रत अपनाओ॥

करुणा का संचार नहीं है,
उर में विमल विचार नहीं है।
समझ सका पथ भूला मानव,
निज जीवन का सार नहीं है॥

जन-जन के विक्षुब्ध हृदय में,
सुखमय शान्ति-सुधा सरसाओ।
सत्य अहिंसा व्रत अपनाओ॥

जगती से हो दूर विषमता,
सबके भावों में हो समता।
मानव के मन में फिर उपजे,
मानव के प्रति मौलिक ममता॥

दूर करो अज्ञान तिमिर को,
दिव्य ज्ञान की ज्योति जलाओ।
सत्य अहिंसा व्रत अपनाओ॥

बापू ने जिसका बल पाकर,
देश दासता दूर भगा कर।
गत गौरव को प्राप्त किया फिर,
सुयश विश्व में व्याप्त किया फिर॥

श्रद्धा से उनके पावन पद-
चिन्हों पर ही बढ़ते जाओ।
सत्य अहिंसा व्रत अपनाओ॥