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सत्य का पथ है निराला / रंजना वर्मा

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सत्य का पथ है निराला।
है यही तो मार्ग आला॥

नष्ट करता है अँधेरा
भोर का अनुपम उजाला॥

उग रहीं शुभ रश्मियाँ हैं
रात्रि का रँग नष्ट काला॥

है नहीं कटता सहज ही
लोभ का संश्लिष्ट जाला॥

उड़ गया खग तोड़ पिंजरा
मोह ममता से सँभाला॥

देह की हर कामना को
है मिटाती मृत्यु बाला॥

साँवरे अब तो पिला दे
प्रेम अमृत इष्ट प्याला॥