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सपना तब पूरा होता है / उर्मिल सत्यभूषण
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सपना तब पूरा होता है
जब निश्चय पक्का होता है
सरवर के पंकिल जल में ही
पंकज को खिलना होता है
झूठे के सब संगी ाथी
सच लेकिन तन्हा होता है
यूं तो सच को आंच नहीं है
बस सूली चढ़ना होता है
सूली ऊपर सेज पिया की
सूली पर मिलना होता है
झूठा ही हो चाहे सपना
आँखों का तारा होता है
अंधे युग की बन आती है
राजा जब अंधा होता है
दीपक बतलायेगा तुमको
तिलतिल क्या जलना होता है
मोती पाना है तो डूबो
सत सागर गहरा होता है
उर्मिल खुद को पाने हेतु
खुद को खुद खोना होता है