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सपनों में लड़की / मनीषा जैन

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पलकों में सोई हुई लड़की
हंसती है, खिलखिलाती है
दौड़ती जाती है
रंगीन तितलियों का संसार
लुभाता है उसे
फूलों की क्यारियों में
घूमती है वह
लहरों सी चंचलता से
भरी वह लड़की

जब आंख खुलती है
देखती है
मुंह अंधेरे बुहारती है घर
देती है चूल्हे में आग
चढ़ाती है चाय का पानी
खौलती जाती है उम्र भर
मिक्सड चाय बनकर
निकलती है केतली के मुंह से
ताउम्र धार की तरह।