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सप्तपुरी / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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सप्त-पुरी पौराणी सुविदित बंँटइछ कण-कण मोक्ष
स्वयं जगत केर त्राता हरि हर जतय न खनहु परोक्ष
विदित ‘अयोध्या’ सरयु सिंचिता, मथुरा यमुना नीर
‘माया’ विदित महामायाकेर कनखल खलखल तीर
‘काशी’ शीतल-वाहिनि गंगा, विश्वनाथ दरवार
‘कांची’ क्रांचनपुरुष शिव सेवित मन्दिर द्वार
महाकाल लालित-पालित ‘उज्जयिनी’ पुरी ललाम
सागर जल कल्लोल, कृष्ण रनछोर ‘द्वारका’ धाम
सप्त-पुरीक धूलि कण केर स्पर्शन - दर्शन सँ मुक्ति
व्यर्थ खपायब माथ शास्त्र - दर्शनक तर्क मत युक्ति