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सफ़दर / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
लोग कहते हैं
नाटक करता था सफ़दर
नाटक न करने वालों ने
उसकी हत्या कर दी
लोग कहते हैं
नाटक नहीं करता था सफ़दर
नाटक करने वालों ने
उसकी हत्या कर दी
नाटक करने वालों
या नाटक न करने वालों में
सफ़दर था ही नहीं
एक दर्द भरी आवाज़ था
वह तो एक ज्वाल था
शोषकों की दुनिया के लिए
सफ़दर एक कठिन सवाल था
रचनाकाल:1995