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सफ़र / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
ये रास्ते का संघर्ष
ये पीड़ाएं
ये इंतजारी के दिन
ये प्रतीक्षा की रातें
ये दर्द के आँसू
अहा !
मंज़िल से ज्यादा आनंद तो
सफ़र में है
सुनो मेरी मंज़िल... !
मैंने नहीं पहुँचना
कहीं भी...