सब देखी लेॅ / दिनेश बाबा
बहुत अजब संसार देखी लेॅ
जिनगी के रफ्तार देखी लेॅ
लोगोॅ पर हावी छै केत्तेॅ
माध्यम के संचार देखी लेॅ
बहुत कड़क छै आज जमाना
व्याप्त छै भ्रष्टाचार देखी लेॅ
छुटभैय्या के ही चलती छै
कब टूटथौं सरकार देखी लेॅ
सांसद, मंत्री, एम्मेले के
आब में आबेॅ बहार देखी लेॅ
होय छै आबेॅ चुनाव सलाना
नेता के भरमार देखी लेॅ
चान छेलै जे ईद के पहिनें
रोज आबेॅ दीदार देखी लेॅ
कोनी करवट ऊंट बैठतै
तेल, तेलोॅ के धार देखी लेॅ
जनता पगलैली क्रिकेट पर
तैय्यो हरदम हार देखी लेॅ
जीतेॅ नै पारभौ तेॅ चौका
छक्का भी बेकार देखी लेॅ
खेल में आवी गेलौं घुटाला
ऐन्हें बारंबार देखी लेॅ
लाखों लाख के वारा-न्यारा
हुवेॅ लागलै हरबार देखी लेॅ
सब सौदा में बड़ी दलाली
बफोर्स पर जगुआर देखी लेॅ
संसद में होय छै हंगामा
गाली के बौछार देखी लेॅ
धनवानोॅ के बात जुदा छै
लॉरी-मोटर-कार देखी लेॅ
जीयैछै निर्धनो परन्तु
जिनगी सें बेजार देखी लेॅ
बड़ी मुसीबत छै हुनका जे
छै निहंग लाचार देखी लेॅ
बिन पैसा बेमजा जेनाकि
हाट आरू बाजार देखी लेॅ
कना गरीब जीते हो बाबू
करै छै जे बेगार देखी लेॅ
हुनकोॅ बड़ी फजीहत जेकरा
बुतरू के भरमार देखी लेॅ
साले साल हुवै छै बच्चा
तीन साल में चार देखी लेॅ
बीहा पहिनें करलक पर छै
अब तक बेरोजगार देखी लेॅ
तिलक-दहेज जें बहुत बढ़ैलक
राजपूत, भूमिहार देखी लेॅ
विप्र, वणिक, कोयरी, कुर्मी या
लाला, बिंद, गुआर देखी लेॅ
बिना तिलक के बात नै करथौं
डोम, दुसाध, चमार देखी लेॅ
जातिवाद के जहर व्याप्त छै
आपस में तकरार देखी लेॅ
ऊँच-नीच के बीच होय गेल्हौं
ऊँच्चोॅ आरू दीवार देखी लेॅ
हुनका सबकेॅ बड़ी मुसीबत
जे छौं इज्जतदार देखी लेॅ
पढ़ी-लिखी बेटीवाला के
नैय्या छौं मझधार देखी लेॅ
बेटावाला के तेॅ चांदी छै
लगै जना बटमार देखी लेॅ
आय बिहानी हम जे पैलौं
पत्नी के फटकार देखी लेॅ
तमकी केॅ श्रीमती जी कहलक
-नहिनें है अखबार देखी लेॅ
आग लगौना बजट देलेॅ छै
टैक्सोॅ पर अधिकार देखी लेॅ
काम असल जे छौं निबटाना
ओयन्हों इस्तेहार देखी लेॅ
बेमतलब बतकही करै छोॅ
भ्रस्ट सगर संसार देखी लेॅ।
बोललौ-बात चलै के पहिनें
जाय केॅ घरो परिवार देखी लेॅ
जेकरोॅ पूत सें बेटी विहैवोॅ
हुनकोॅ सोच-विचार देखी लेॅ
बड्डी छै धोखा हेकरा में
घर-वर केॅ साकार देखी लेॅ
केतना पढ़ल-लिखल छै लड़का
की-की छै व्यापार देखी ले
खान-पान संगी-साथी के
संग मधुर व्यवहार देखी ले
हेकरा सें भी बहुत जरूरी
रहन-सहन संस्कार देखी लेॅ
लड़का केतना प्रोग्रेसिव छै
केतेॅ छै होनहार देखी लेॅ
बेटी के अनुरूप हौ दुलहा
मैचेबुल आकार देखी लेॅ
आबै-जाय के भी सुविधा हो
दौलत के भंडार देखी लेॅ
वधु केॅ केतना मिलैलेॅ पारतै
सास-ननद के प्यार देखी लेॅ
देर भला आबेॅ की करना छै
महँगी के है मार देखी लेॅ
लड़का सुन्दर होय चाहे तेॅ
एक कैन्हें हजार देखी लेॅ
पटना, टाटा, भागलपुर या
सात समुन्दर पार देखी लेॅ
पुल होय गेल्हौं बरारीवाला
गंगा के भी पार देखी लेॅ
बेगूसराय, बरौनी आरनी
दरभंगा, कटिहार देखी लेॅ
धन-वन-मान-प्रतिष्ठा हुवेॅ
आरू आदर-सत्कार देखी लेॅ
की छै माँग, कहाँ तक सधभौ
इच्छा के विस्तार देखी लेॅ
ओतनाय ऐंठेॅ जे टूटै नैं
वीणा के भी तार देखी लेॅ
माँग अटपटोॅ कर्हौं तेॅ कहियोॅ
रिश्ता छौं बेकार देखी लेॅ
जहाँ जची जाय मन माफिक तेॅ
करिहोॅ नैं इनकार देखी लेॅ
एक बात कि वर सुन्दर होय
लेकिन नहीं गँवार देखी लेॅ
नाव वहेॅ दिश लै जाना छै
डाँड़ आरू पतवार देखी लेॅ
तिलक-दहेज के हामी केॅ तेॅ
‘बाबा’ नाहंजार देखी लेॅ
गजलनुमा कविता सब्भै के
दिल के घुटन-गुमार देखी लेॅ