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सब में करुना जागे / राम सिंहासन सिंह
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अइसन दऽ मुस्कान कि जे से
जन-जन के दुख भागे
अइसन चितवन दऽ अँखियन में
सबमें करुना जागे!
अइसन दे दऽ गान कंठ में
अग-जग तक सब सिहरइ
जरा सिखा दऽ तोहरे देखते
तन-मन कभी न बिखरइ!!
गिरना-उठना वैसन होवे
रात-दिवस हौ जइसे
मनुआ तोहरे में हो तन्मय
सब कुछ भूलूँ कइसे!
दऽ बरदान कि तोहरे में हम
अपना के भी पइयो
अप्पन बानी में हम तोहरे
गितवा हरदम गइयो!!