भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सब में करुना जागे / राम सिंहासन सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अइसन दऽ मुस्कान कि जे से
जन-जन के दुख भागे
अइसन चितवन दऽ अँखियन में
सबमें करुना जागे!

अइसन दे दऽ गान कंठ में
अग-जग तक सब सिहरइ
जरा सिखा दऽ तोहरे देखते
तन-मन कभी न बिखरइ!!

गिरना-उठना वैसन होवे
रात-दिवस हौ जइसे
मनुआ तोहरे में हो तन्मय
सब कुछ भूलूँ कइसे!

दऽ बरदान कि तोहरे में हम
अपना के भी पइयो
अप्पन बानी में हम तोहरे
गितवा हरदम गइयो!!