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सबसे दिल का हाल न कहना / देवमणि पांडेय
Kavita Kosh से
सबसे दिल का हाल न कहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
जो कुछ गुज़रे ख़ुद पर सहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
हो सकता है इससे दिल का बोझ ज़रा कम हो जाए
क़तरा क़तरा आँख से बहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
इस जीवन की राह कठिन है पाँव मे छाले पड़ते हैं
मगर हमेशा सफ़र में रहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
नए रंग में ढली है दुनिया प्यार पे लेकिन पहरे हैं
ख़्वाब सुहाने बुनते रहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
प्यार को अब तक इस दुनिया ने जाने कितने नाम दिए
हमने कहा ख़ुशबू का गहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं
उसकी यादों से रोशन है अब तक दिल का हर कोना
मिल जाए तो उससे कहना लोग तो कुछ भी कहते हैं