भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबसे पिछली क़तार का आदमी / प्रयाग शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोचता है सबसे पिछली क़तार
का आदमी
सारी अगली क़तारों के बारे में ।

कहता नहीं,
सोचता है--
हम सब हो सकते थे
एक ही क़तार में--
बस आदमी !