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समतल / मोहन राणा

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ऊँचाईयाँ अनुपस्थित हैं यहाँ कि

देख सकता हूँ गोलार्द्ध के आर-पार

अपने को खड़ा एक मैदान के छोर पर पहली बार

देखते एक पवनचक्की को

पवनचक्की को मुझे देखते,

समतल विस्तार की

छुप जाती नगण्यता मेरी


10.11.1990 लाइडेन