समय खराब छै / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
साबो!
ई रङ-
बनीं ठनीं केऽ
बहराबऽ नैं।
समय खराब छै,
गराँ में लपेटी के दुपट्टा,
छाती देखाबऽ नैं।
देखथैं, नजर गड़ैथौं,
मारथौं सुसकारी।
जों तों देभौ गारी-
मारथौं हुंहकारी।
कोय कुछ नैं बोलथौं।
आदमी-
जानवर सें भी-
बत्तर होय गेलऽ छै।
टुकुर-टुकुर ताकथौं।
उलटे मोनें कोॅन कहथौं-
आरो बनीं ठनीं केऽ चलऽ
बेशी बोलभौ तेऽ
लेथौं उठय।
राखथौं नुकाय,
जबतक मोॅन होयतै-
भुखलऽ भेड़िया नाँकी-
चीबैथौं गरम माँस।
गिड़गिड़ै बऽ कानबऽ
के सुनथौं?
ओकरऽ बाद हे साबो।
गरऽ दाबी देथौं।
मारी देथैं, फेकी देथौं।।
आदमी रूपऽ में-
हैबान बनी जैथौं।
यहाँ-
माय बापें छाती पीटथौं।
माथों धुनथौं।
तोंहें कुलहसाय कहलै भेऽ अलगे।
बाप-बाबा केऽ
पगड़ी गिरी पड़थौं।
कहाँ करोऽ नैं रहभेऽ।
हमहूँ छलिइयै-
तोरे रङ जवान,
हमरौह छलै-
तोरे रङ छाती।
आँचर कखनूँ नैं घसकै छलै।
केकरऽ मजाल कि-
मारी लियऽ कनखी?
आदमी-आदमी छेलै।
मिलला पर होय रहै भरोसऽ
आबेऽ तेऽ लागै छै डोरॅऽ।
चौकीदारें-राखै रहै इज्जत।
आबे तेऽ पुलिसबोऽ तहिनें छै।
कहाँ जैभो?
केकरा कहभौ?
तहिनैं छौं मुखिया-
तहिनैं छै नेतबा-तहिनैं सरकार।
खोलनें छै-पंचसितारा होटल।
पकड़ी केऽ कराबै छै-छेह व्यापार।
आबेऽ की बोलभेऽ?
आबेऽ की करभेऽ?
जानी के जात दे केऽ
दैवोऽ के दोष देना-नींकोऽ नैं।
घरहौं में रहला पर तेऽ-
करेजऽ धक-धक।
बहरैला पर बाते की?
बचलेहऽ तेऽ बड़ाभाग
गेली तेऽ छेबे करऽ।
साबो!
नैं लहराबऽ-घुँघर लऽ बाल।
नैं सजाबऽ गुलाबी गाल।
छोड़ी देऽ लगैबऽ काजल।
नैं लगाबऽ सेन्ट-नैं फुलेल।
छोड़ी देऽ लिपीसटिक-
छोड़ी देऽ मुसकब।
पकड़ी ले कान-
भजऽ भगवान।
छोड़ी देऽ पयल
उठाय लेऽ चप्पल
मारऽ मुऽह जरोनाँ पत्थल
तबेऽ सीखथौं।
लेकिन पहिने-
अपनाँ केऽ ठीक करऽ।
अपनाँ केऽ ठीक करऽ।
ई मुझौसा मरदें-
जात लेऽ लेथौं।
बच्ची रहऽ कि विकलांग,
बूढ़ी रहऽ कि जवान,
कुछ नैं बुझथौं।
राखिहौ केॅ घिनैथौं।
रे निगोड़ा।
आपनों-
काटी कऽ फेकी न दे।
मोॅन होय जैतौ शान्त।
नैं तऽ-
चुल्लू भर पानी में-
डूबी केऽ मरी जो।
डूबी केऽ मरी जो।
डूबी केऽ मरी जो।
-अंगिका लोक/ जनवरी-मार्च, 2008