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सरकारी आशा पर / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
सरकारी आशा पर रहना कखनूँ नीकोॅ नैं।
दोसरा केॅ आशा पर जीना कखनूँ नीको नैं।
मेहनत रोॅ फोॅल मीठोॅ होय छै सभ्भैं जानै छै,
मोॅन मारी केॅ बैठलोॅ रहना कखनूँ नीकोॅ नैं।
जें अनर्थ केॅ देखेॅ टुकटुक ऊभारी डरपोक,
आग लगाना झूठ मूठ केॅ कखनूँ नीकोॅ नै।
दीन दुखी केॅ दरद मिटाना, सबसें बढ़ियाँ छै,
खून चूसी केॅ महल बनाना कखनूँ नीकोॅ नै।
ई हमरोॅ उपदेश कभी नैं दिलरोॅ किंछा,
धौंस जमाना सबकेॅ ऊपर कखनूँ नीकोॅ नैं।