सरस्वती वंदना / बाबा बैद्यनाथ झा
मुझे हे शारदे माता,
सहज सद्ज्ञान अब दे दो
कलुष अज्ञान हट जाए,
यही वरदान अब दे दो
लिखूँ हर छन्द मैं सुन्दर,
मुझे माता सिखा देना
चलूँ सन्मार्ग पर हरदम,
जिसे तुम माँ दिखा देना
कठिन जो शब्द हैं उनको,
समझ पाऊँ सरल कर दो
कठिन पाषाण सम विद्या,
उसे पी लूँ तरल कर दो
नहीं धन की मुझे इच्छा,
सुयश सम्मान अब दे दो
हटा विद्वेष को मन से,
सुखद सद्भावना भर दो
परस्पर बाँट लें सुख-दुख,
यही शुभकामना कर दो
नहीं हो एक भी भूखा,
वसन भी हो सभी तन पर
सभी परिवार को घर हो,
न कोई बोझ हो मन पर
सुशिक्षित हों सभी मानव,
यही बस दान अब दे दो
समुन्नत विश्व हो जाए,
निरोगी ही रहे काया
रहे बन्धुत्व भी जग में,
अमन सुख शान्ति की छाया
चिरन्तन ज्ञान-गीता को,
समूचा विश्व पढ़ पाये
जगत-सिरमौर हो भारत,
सुयश के गीत सब गाये
सुनाकर तान वीणा का,
मधुरतम गान अब दे दो