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सर्वहारा / भावना मिश्र

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देखो!
मुझसे ये न पूछो
कि मैं तुम्हारी जगह होता
तो क्या करता..

मुझे तो यह भी नहीं मालूम
कि खुद अपनी जगह
क्या करना चाहिए मुझे?

मैं असफल हूँ
मैं हारा हूँ स्वयं से,
परिस्थितियों से,
समकालीनों से,
समाज से,
सरकार से

सभ्य शब्दों में मुझे कहा जाता
‘सर्वहारा’