सवाल / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
प्रियंका जब पी.एम. बनतै, हम्में करबै एक सवाल,
कुच्छू कहतै ठीक बात छै, कुच्छू करतैएन्है बवाल।
दूसरा बच्चा कब! जब पहला स्कूल जाये तब,
पहला स्कूल जाये कब! तीन-चार बरस का हो तब,
लेकिन प्रियंका जी? दो बरस मं दू ठो बच्चा!
क्या कहेंगे अब?
देशऽ के गल्ली-गल्ली, सरकार बजाबै छै डंका,
डंका केरऽ आवाज पहुँचलै पाकिस्तान, श्री लंका,
तैय ऽ सब्भे करते रहलै एकदम कनमटकऽ रंग का,
केना चलतै देश-राज, हमरा तं लागै छै शंका,
बतबनवा नै बात छै बाबू सोचऽ ते लागै सच्चा,
दू सालऽ मेॅ प्रियंका न देश कं देलकै दू टा बच्चा।
हेकरा से छोटऽ की सिखतै, हमरा लागै यहा मलाल,
प्रियंका जब पी.एम. बनतै, हम्में करबै एक सवाल।
सब लोगऽ केॅ देखाबै लं फोटो-पोस्टर साटै छै,
लाखऽ-लाख बजट बनाय कं घर-घर पर्चा बाँटै छै,
छोटका केॅ बड़का ऑफिसर झूठ-मूठ केॅ डॉटै छै,
जखनी योजना पास हुयै, तखनी घर मं रास हुयै छै,
दारू पीके मस्त-मस्त जौने जे चाहै खास हुयै छै,
गाँव-शहर के गल्ली मॅे राखने छै दू-चार दलाल।
प्रियंका जब पी.एम. बनतै, हम्में करबै एक सवाल।
बड़का-बड़का ऐसे करतै देश-दुनिया केना चलतै,
समय सेॅ पहीने सुधरो नै तं पीछू जायकं हाथें मलतै,
अखनी हम्मे बात कहौं जे जेहा सोचतै होखरै खलतै,
अमीर-गरीबो खातिर बनलै एक रंगऽ के कानून,
कानून के पन्ना-पन्ना मं लागी गेलै कैसनऽ घून,
नशावंदी के करै वकालत पियक्कड़ आरू कलाल।
प्रियंका जब पी.एम. बनतै, हम्में करबै एक सवाल।